लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश):- उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जनपद लखीमपुर खीरी में स्थित लिलौटीनाथ शिव मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि महाभारतकालीन पौराणिक धरोहर के रूप में भी प्रतिष्ठित है। यह मंदिर अपनी चमत्कारी घटनाओं, प्राचीन इतिहास और रहस्यमयी मान्यताओं के लिए उत्तर भारत भर में विख्यात है।
📍 स्थान और प्राकृतिक परिवेश
यह प्राचीन शिव मंदिर लखीमपुर शहर से लगभग 5 किलोमीटर दूर, जुनई और कंडवा नदी के बीच स्थित है। पहले यह मंदिर बबुरी और खैर के घने जंगलों के बीच छिपा हुआ था, जिससे इसका वातावरण आज भी अत्यंत शांत और आध्यात्मिक बना हुआ है। प्रकृति की गोद में बसा यह स्थल श्रद्धा, रहस्य और शांति का त्रिवेणी संगम है।
🕉️ महाभारतकालीन मान्यता
ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का शिवलिंग द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने द्वापर युग में स्थापित किया था। कहा जाता है कि युद्ध समाप्ति के बाद पश्चाताप में डूबे अश्वत्थामा ने भगवान शिव की आराधना के लिए इस शिवलिंग की स्थापना की थी। एक अन्य प्रसिद्ध किवदंती के अनुसार, वीर आल्हा और उदल भी इस शिवधाम में आकर पूजा करते थे।
🔱 शिवलिंग का रहस्य और चमत्कार
लिलौटीनाथ मंदिर का शिवलिंग कई रहस्यों से घिरा है। सबसे बड़ा चमत्कार यह माना जाता है कि मंदिर के कपाट खुलने से पहले ही शिवलिंग पूजित अवस्था में मिलता है, यानी जल, फूल और बेलपत्र पहले से चढ़े हुए पाए जाते हैं।
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एक और अद्भुत विशेषता यह है कि शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है —
- 🔸 सुबह काला,
- 🔸 दोपहर को भूरा और
- 🔸 रात्रि में सफेद छटा बिखेरता है।
शिवलिंग की सतह पर एक उभरी हुई आकृति है, जिसे श्रद्धालु माता पार्वती का स्वरूप मानते हैं। इन सभी चमत्कारों को लेकर श्रद्धालुओं में गहरी आस्था है, और यह मंदिर एक जीवंत चमत्कारी स्थल के रूप में पूजित होता है।
🙏 भव्य मूर्तियाँ और पूजा स्थल
मंदिर परिसर में पंचमुखी हनुमान, दक्षिणमुखी हनुमान, सूर्य देव, मां दुर्गा, भगवान विष्णु तथा घाट पर दक्षिणेश्वर शिव भी विराजमान हैं। ये सभी प्रतिमाएं मंदिर को एक समग्र धार्मिक केंद्र बनाती हैं, जहां एक ही स्थान पर विभिन्न देवताओं की पूजा संभव है।
🛕 सावन और अमावस्या पर विशेष आयोजन
हालांकि मंदिर में प्रतिदिन भक्तों का आना-जाना रहता है, लेकिन सावन माह में यहाँ हजारों की संख्या में शिवभक्तों की भीड़ उमड़ती है। वहीं हर अमावस्या को विशेष मेला भी लगता है, जिसमें दूर-दराज से श्रद्धालु पूजन, अभिषेक और मनोकामना पूर्ति के लिए पहुंचते हैं।
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🏛️ इतिहास में योगदान
इस मंदिर का जीर्णोद्धार महेवा स्टेट के राजाओं द्वारा कराया गया था। वर्तमान में मंदिर की देखभाल स्थानीय मंदिर समिति के जिम्मे है, जो श्रद्धालुओं की सुविधा और धार्मिक आयोजनों की नियमित व्यवस्था करती है।