लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले का रहने वाला सनोज राठौर कुछ समय से खुद को ग्राम विकास अधिकारी (VDO) बताकर परिवार और जान-पहचान वालों को धोखे में रखे हुए था। वह रोज ट्रेन से शाहजहांपुर “ड्यूटी” के लिए जाता और शाम को घर लौट आता था। लेकिन 6 जून को अचानक वह लापता हो गया, और अगले दिन बेहोशी की हालत में एक खेत में मिला।
शुरुआती जांच में सनोज ने दावा किया कि कुछ बदमाशों ने उसे बेहोश कर दिया और 3 लाख रुपये लूट लिए। लेकिन पुलिस ने जब उसकी बताई गई डिटेल्स खंगालीं, तो मामला उल्टा निकला।
झूठ की परत दर परत खुलती गई
पुलिस ने बैंक से ट्रांजैक्शन डिटेल्स निकलवाईं, जहां से सनोज ने कथित तौर पर 3 लाख रुपये निकाले थे। लेकिन जांच में सामने आया कि उसके खाते में कोई लेन-देन हुआ ही नहीं। इसके बाद पुलिस ने जब उसकी नौकरी से संबंधित दस्तावेज खंगाले, तो पता चला कि वह न तो किसी सरकारी सेवा में है और न ही उसे VDO की कोई नियुक्ति मिली है।
परिवार से छिपा रहा था सच
सनोज ने फर्जी ज्वाइनिंग लेटर बनवाकर अपने परिवार को भरोसे में ले लिया था। कुछ समय तक सबकुछ ठीक चलता रहा। लेकिन जब परिवार ने उससे 3 लाख रुपये की डिमांड कर दी, तो वह बुरी तरह फंस गया। खाली अकाउंट और झूठी पहचान के बीच उसने खुद के अपहरण और लूट की एक कहानी रच डाली।
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पुलिस कर रही विधिक कार्रवाई
फिलहाल पुलिस पूरे मामले की छानबीन कर रही है। शुरुआती जांच में फर्जी दस्तावेज बनाने, झूठी सूचना देने और समाज में भ्रम फैलाने की धाराओं में केस दर्ज किया जा सकता है। यह मामला न केवल सामाजिक स्तर पर एक गंभीर धोखाधड़ी का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे सोशल स्टेटस बनाए रखने के लिए कुछ लोग खतरे की हद तक जा सकते हैं।
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