लखनऊ, 6 जून 2025। प्रदेश के आयुक्त (गन्ना एवं चीनी) प्रमोद कुमार उपाध्याय ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में गन्ने की फसल में लाल सड़न (Red Rot) रोग के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए अलर्ट जारी किया है। यह रोग विशेषकर गन्ने की किस्मों जैसे कोशा (Co-0238), जसमेरा, बुड्डा, वेल्ला, एवं मित्तल (Co-0118) आदि में देखा गया है।
इस रोग की पहचान गन्ने के तनों में लाल रंग की रेखाएं और सफेद फफूंदी जैसे लक्षणों से की जा सकती है। प्रभावित गन्ना अक्सर कमजोर होकर टूटने लगता है, जिससे उत्पादकता पर सीधा असर पड़ता है।
सात दिन बाद खुला दुल्हन का राज, सुबह जब सो कर उठा परिवार तो मचा हड़कंप।।
🔬 रोकथाम के उपाय:
किसानों को सलाह दी गई है कि वे निम्नलिखित रसायनों का 500–1000 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें:
✅ बुवाई के समय उपचार के लिए:
- कार्बेन्डाजिम 50% डब्लू. पी. – 0.1% घोल
- प्रोपिकोनाजोल 25% ईसी – 0.1% घोल
- 15 दिनों के अंतराल पर 2 बार छिड़काव करें
✅ सड़क रोग (Red Rot) से बचाव:
- थाइरम 0.3% या
- कैप्टान 0.2% का उपयोग
- फफूंदनाशी घोल में डंठलों को 20 मिनट तक डुबाएं
🌿 कीटों से संबंधित अन्य सावधानियां:
प्रेस नोट में गुलाबी तना छेदक, टॉप शूट बोरर और चूहा जनित रोग के प्रति भी सचेत किया गया है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय करें:
- क्लोरान्ट्रानिलिप्रोल 18.5% SC का छिड़काव
- इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL – 200 मि.ली./हेक्टेयर
- बाविस्टिन 10% WP – 400 मि.ली./750 लीटर पानी प्रति एकड़
🧪 गुलाबी विकलन (Pokkah Boeng) रोग के लक्षण और उपाय:
गन्ने की गांठों पर पत्ते फटने लगते हैं तथा रस सूख जाता है। इसके नियंत्रण के लिए:
- कार्बेन्डाजिम 0.1% घोल
- प्रोपिकोनाजोल 25% EC – 400 मि.ली./800 लीटर पानी प्रति एकड़
- 2 बार 15 दिन के अंतर पर छिड़काव करें
📌 विशेष सुझाव किसानों के लिए:
- गन्ने की फसल में लगातार निगरानी रखें
- किसी भी रोग या कीट का लक्षण दिखने पर तुरंत कृषि विशेषज्ञ से संपर्क करें
- बुवाई से पूर्व बीजोपचार अवश्य करें
- जल निकासी की उचित व्यवस्था रखें ताकि फसल में नमी संतुलित बनी रहे
“जिस किसान को मरा मान लिया गया, वो जिंदा सामने आ गया- तहसील में मच गया हड़कंप!”