दुधवा की खामोशी टूटी – जो मिला, वो कभी रिकॉर्ड में ही नहीं था, दुधवा का रहस्य अब उजागर।।

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रिपोर्ट:- शरद मिश्रा “शरद”
लखीमपुर खीरी। दुधवा टाइगर रिजर्व, जो अब तक बाघों और बारहसिंगा के लिए मशहूर था, अब विज्ञान की दुनिया में भी अपनी एक नई पहचान बना रहा है। हाल ही में यहाँ कोंडानारस सैंड स्नेक की पहली बार उत्तर प्रदेश में मौजूदगी दर्ज की गई है — और वो भी तस्वीरों के साथ। यह मायावी और कम ज्ञात प्रजाति अब तक राज्य के रिकॉर्ड में नहीं थी। लेकिन दुधवा के समर्पित वन जीवविज्ञानी, सतर्क ग्राउंड स्टाफ, और उनके निडर फील्डवर्क की बदौलत, यह अद्भुत प्राणी अब वैज्ञानिक रिकॉर्ड में शामिल हो चुका है।
2024 से 2025 तक, दुधवा ने चार नई सांप प्रजातियों की खोज दर्ज की है, जो यह दर्शाता है कि इस जैव विविधता से भरपूर जंगल में अभी भी अनेक रहस्य छिपे हुए हैं।

इस खोज का महत्व क्या है?

कोंडानारस सैंड स्नेक की यह उपस्थिति सिर्फ एक दृश्य उपलब्धि नहीं, बल्कि भारतीय सरीसृप विज्ञान (Herpetology) के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इससे न केवल उत्तर भारत के पारिस्थितिकी तंत्र की समझ गहरी होती है, बल्कि संरक्षण के नए प्रयासों को भी मजबूती मिलती है।

दुधवा की एक नई पहचान:

अब यह जंगल सिर्फ बाघों की दहाड़ के लिए नहीं, बल्कि विज्ञान और खोज के क्षेत्र में अपनी अनूठी उपलब्धियों के लिए भी जाना जाएगा।

बधाई के पात्र:

इस सफलता के असली नायक हैं — हमारे जागरूक वन अधिकारी, जीवविज्ञानी, और वन संरक्षक, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अपने कार्य के प्रति समर्पण दिखाया।

सरकार से पहले पहुंचा “मसीहा” – गांव में आधी रात शुरू हुआ बाढ़ से बचाव ऑपरेशन।।

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