सिप्टी पिन का आविष्कार। आज हमारे दैनिक जीवन में सिप्टी पिन एक आम चीज़ लगती है। एक तारों की पिन, जो खास कर महिलाओं के लिए बेहद उपयोगी होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस छोटी पिन के पीछे एक दिल को छू लेने का इतिहास और एक शानदार खोज की कहानी छिपी है?
किसने किया सिप्टी पिन का आविष्कार?
सन् 1849 में अमेरिका के वाल्टर हंट ने सिप्टी पिन का आविष्कार किया। जो न्यूयॉर्क के रहने वाले थे इन्हें बेहद बुद्धिमान लोगों में गिना जाता था ये छोटे से छोटे और उपयोगी आविष्कार करते थे। इन्होंने सिप्टी पिन का आविष्कार तब किया था जब उन्हें एक पुरानी उधारी चुकाने के लिए कुछ रुपयों की आवश्यकता थी। बताते है कि उन्होंने इस पिन को मात्र 3 घंटे में आकर दिया था और इसके आकर के लिए 17 अप्रैल 1849 को अमेरिकी पेटेंट नंबर 6,281 प्राप्त किया।
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सिप्टी पिन किस तरह कार्य करती है?
सिप्टी पिन का आकर साधारण लेकिन बहुत आकर्षक है। इसमें एक हल्की धातु की तार होती है, जो एक छोर पर चोनदार होती है और दूसरे छोर पर एक छोटा लॉक होता है। जब पिन बंद होती है, तो चोनदार छोर सफल तरीके से लॉक में फंस जाता है, जिससे यह शरीर को हानि नहीं पहुंचाती। वाल्टर हंट ने इसके आकर में एक स्प्रिंग जैसी घुमाव दिया, जिससे यह बंद होने के बाद अपने आप खुलती नहीं थी – यही इसकी सबसे अच्छी खूबी थी।
सिप्टी पिन बनाने पर हंट को इसका क्या फायदा मिला?
मिली जानकारी के अनुसार हंट ने इस आविष्कार के अधिकार केवल 400 डॉलर में एक कंपनी को बिक्री कर दिए, जिससे वह अपनी पुरानी उधारी चुका सकें। उसके बाद में उस कंपनी ने सिप्टी पिन से भारी प्रॉफिट कमाया, लेकिन हंट को इसका कोई फायदा नहीं मिला।
सिप्टी पिन का जलवा आज भी बरकरार।
हम सभी जानते है कि यह एक छोटी सी मगर बेहद उपयोगी चीज है, लेकिन सिप्टी पिन ने फैशन, सिलाई, बच्चों की देखरेख, और यहां तक कि डॉक्टरी क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जल्दबाजी में कपड़े जोड़ने, टूर में काम चलाने, या बच्चों के डायपर सुरक्षित करने में यह एक विश्वासपात्र दोस्त है।
सिप्टी पिन सिर्फ एक आम चीज नहीं, बल्कि ज़रूरत और मित्रता का प्रतीक है। वाल्टर हंट की खोज हमें यह सीखती है कि एक छोटी सोच भी दुनिया भर में लोगों की ज़िंदगी को आसान बना सकती है। यह छोटी-सी पिन आज भी हमारे जीवन में अपनी जगह बनाए हुए है – सादगी में ही महानता की मिसाल बनकर।
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