रिपोर्ट:- शरद मिश्रा “शरद”
निघासन खीरी। लखीमपुर खीरी जिले की निघासन तहसील के गांव तारानगर में स्थित बारु बाबा का स्थान आज भी आस्था और विश्वास का जीवंत प्रतीक बना हुआ है। ग्रामीणों के अनुसार यह स्थान न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक परंपराओं का भी एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
🌳 400 वर्ष पुराना पाकड़ का पेड़: चमत्कारी आस्था की जड़ें
गांव के केंद्र में स्थित यह स्थल एक विशाल पाकड़ के पेड़ के कारण भी प्रसिद्ध है, जिसके बारे में मान्यता है कि यह कोई सामान्य पेड़ नहीं बल्कि संत बारु बाबा द्वारा किया गया चमत्कार है।
स्थानीय पूर्व प्रधान रमेश लोधी के अनुसार, लगभग 400 साल पहले बारु बाबा ने दातुन करते समय उस दातुन को भूमि में गाड़ दिया था। समय के साथ वह दातुन एक विशाल पाकड़ के पेड़ में परिवर्तित हो गया। आज यही पेड़ गांव के धार्मिक विश्वास और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बना हुआ है।
🛕 बारु बाबा का स्थान: श्रद्धा, सेवा और भक्ति का संगम
यह स्थान न केवल पूजा-अर्चना का केंद्र है, बल्कि सामूहिक भक्ति और सामाजिक सहयोग का भी प्रतीक बन चुका है।
सावन और जेठ माह के मंगलवार को यहां विशाल भंडारों का आयोजन किया जाता है, जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दूर-दराज से शामिल होते हैं।
स्थानीय निवासी मानते हैं कि बारु बाबा की कृपा से असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
📿 चमत्कारी कथाएं और जनश्रुति
गांव के बुजुर्गों और श्रद्धालुओं के अनुसार, आज भी बारु बाबा के कई चमत्कारों की कथाएं सुनने को मिलती हैं।
कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से यहां आकर प्रार्थना करता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।
बारु बाबा के प्रति लोगों की आस्था इतनी गहरी है कि गांव में कोई भी शुभ कार्य उनके आशीर्वाद के बिना प्रारंभ नहीं किया जाता।
1930 का ट्रैक्टर:- पुराने जमाने की मशीन जो आज भी कर रही है कमाल, किसानों का सच्चा साथी।।
🌐 पर्यटन और धार्मिक दृष्टिकोण
हालांकि यह स्थल अभी तक पर्यटन मानचित्र पर उतनी पहचान नहीं बना पाया है, लेकिन इसकी धार्मिक महत्ता और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि इसे एक आध्यात्मिक धरोहर बनाती है।
स्थानीय लोग चाहते हैं कि शासन-प्रशासन द्वारा इस स्थान को विकसित किया जाए ताकि आने वाली पीढ़ियां इस सांस्कृतिक विरासत से परिचित हो सकें।