रिपोर्ट:- दीप शंकर मिश्र “दीप”
लखनऊ। उत्तर प्रदेश प्रशासन के स्तंभ माने जाने वाले वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के. रविंद्र नायक, इस माह अपनी 30 वर्षों से अधिक की गौरवशाली सेवा के बाद सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। अपने कार्यकाल में उन्होंने जिन मानकों को स्थापित किया है, वे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बन चुके हैं। उन्हें अनुशासन, पारदर्शिता और जनहित के लिए समर्पित कार्यशैली के लिए जाना जाता है।
1995 बैच के यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी श्री नायक वर्तमान में प्रमुख सचिव, डेयरी विकास, मत्स्य पालन और पशुपालन विभाग के रूप में कार्यरत हैं और उन्होंने इस विभाग को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है।
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सेवाभाव और समर्पण का परिचायक: के. रविंद्र नायक
तेलंगाना के महबूबनगर में 12 मई 1965 को जन्मे श्री नायक ने सिविल इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की, लेकिन उन्होंने तकनीकी क्षेत्र की बजाय जनसेवा का मार्ग चुना। उनकी पहली नियुक्ति लखीमपुर खीरी में सहायक मजिस्ट्रेट के रूप में हुई, और यहीं से शुरू हुआ एक ऐसा प्रशासनिक सफर जिसने यूपी की व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव लाने में अहम भूमिका निभाई।
उन्होंने बहराइच, मुजफ्फरनगर, बांदा, एटा, देवरिया, बाराबंकी, लखीमपुर खीरी और अलीगढ़ जैसे कई जिलों में जिलाधिकारी के रूप में उल्लेखनीय कार्य किए। हर जिले में उन्होंने ईमानदारी, संवेदनशीलता और प्रशासनिक सख्ती का बेहतरीन संतुलन कायम किया।
गौ सेवा आयोग में संभावित नई जिम्मेदारी
अब जब वह सेवानिवृत्त हो रहे हैं, तो सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में यह चर्चा जोरों पर है कि श्री नायक को उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। गौ सेवा आयोग केवल गौशालाओं की देखरेख करने वाला एक विभाग नहीं है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक नीतियों का भी महत्वपूर्ण स्तंभ है। ऐसे में श्री नायक जैसे अनुभवी, संवेदनशील और कर्मठ अधिकारी का इस आयोग से जुड़ना राज्य की गौ नीति को एक नई दिशा और मजबूती दे सकता है।
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क्यों उपयुक्त हैं श्री नायक गौ सेवा आयोग के लिए?
उन्होंने पशुपालन विभाग में रहते हुए प्रदेश की गौशालाओं और डेयरी परियोजनाओं को नई दिशा दी।
प्रशासनिक अनुभव के साथ-साथ उनका सामाजिक और नैतिक दृष्टिकोण, आयोग की कार्यप्रणाली के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है। श्री नायक के नेतृत्व में गौ कल्याण योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सकता है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था और धर्म-संस्कृति से भी जुड़ा हुआ मुद्दा है।
के. रविंद्र नायक सिर्फ एक आईएएस अधिकारी नहीं, बल्कि एक जनसेवक, प्रशासनिक प्रेरणा स्रोत और अब संभावित रूप से गौ सेवा के संरक्षक के रूप में सामने आ सकते हैं। यदि उन्हें गौ सेवा आयोग की कमान मिलती है, तो यह उत्तर प्रदेश के लिए सौभाग्य की बात होगी। उनके अनुभव और दृष्टिकोण से यह आयोग और भी प्रभावी और जनकल्याणकारी बन सकता है।
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