जिसे कैमरों ने मशहूर किया, अब वही तस्वीरें बता रही हैं उसकी तकलीफ।।

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रिपोर्ट:- शरद मिश्रा “शरद”
लखीमपुर खीरी। दुधवा नेशनल पार्क की किशनपुर सेंचुरी की प्रसिद्ध बाघिन “बेलडंडा”, जिसे क्षेत्र की क्वीन टाइग्रेस भी कहा जाता है, इन दिनों अस्वस्थता के चलते वन्यजीव प्रेमियों और अधिकारियों की चिंता का विषय बनी हुई है। बीते दिनों बेलडंडा के शरीर पर चोट के निशान पाए गए हैं, विशेष रूप से उसकी आंख और पैर के पास जख्म देखे गए हैं।

इन जख्मों की जानकारी सबसे पहले वन्यजीव फोटोग्राफर सिद्धार्थ सिंह और कौशलेंद्र सिंह द्वारा साझा की गई, जिन्होंने वर्षों से बेलडंडा के जीवन को कैमरे में कैद किया है। दोनों ने अपने हालिया फोटो और वीडियो विश्लेषण के आधार पर बाघिन की चोट की स्थिति को उजागर किया और सोशल मीडिया के माध्यम से इस गंभीर स्थिति की जानकारी आम जनता और अधिकारियों को दी।

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फोटोग्राफरों द्वारा जानकारी साझा किए जाने के बाद वन विभाग हरकत में आया। उत्तर प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने तत्काल संज्ञान लेते हुए बाघिन के स्वास्थ्य मूल्यांकन और आवश्यक उपचार के लिए एक विशेष टीम गठित करने के निर्देश दिए। टीम का नेतृत्व दुधवा नेशनल पार्क के उपनिदेशक डा. रंगाराजू टी कर रहे हैं। उनके साथ किशनपुर रेंजर और अनुभवी वन्यजीव चिकित्सकों की टीम भी शामिल है।

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बाघिन बेलडंडा को दुधवा के सबसे चर्चित और पहचान बनाने वाले बाघों में गिना जाता है। पर्यटक और फोटोग्राफर उसे देखने के लिए विशेष रूप से किशनपुर पहुंचते रहे हैं। ऐसे में उसके स्वास्थ्य को लेकर स्थानीय समुदाय, पर्यावरणविद् और वन्यजीव प्रेमी गहरी चिंता में हैं।वन विभाग की टीम अब लगातार उसकी निगरानी कर रही है और बाघिन के व्यवहार, गतिविधियों और स्वास्थ्य पर बारीकी से नजर रख रही है। आवश्यकता पड़ने पर उसे उपचार के लिए एक अस्थायी एनक्लोजर में भी ले जाया जा सकता है।

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