भुलभुलैया शिव मंदिर: लखीमपुर खीरी की शिल्पकला का अद्भुत चमत्कार निघासन के सिंगाही कस्बे के पास स्थित भुलभुलैया शिव मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि उत्तर भारत की अद्वितीय स्थापत्य कला का जीवंत उदाहरण है। यह मंदिर अपनी रहस्यमयी बनावट, ऐतिहासिक महत्व और आध्यात्मिक शक्ति के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध है।
इतिहास में झांकें – महारानी सुरथ कुमारी का समर्पण
इस भव्य मंदिर का निर्माण सन् 1927 में शुरू हुआ, जो एक वर्ष से अधिक समय में पूर्ण हुआ। इसे खैरीगढ़ स्टेट की महारानी सुरथ कुमारी शाह ने अपने दिवंगत पति राजा इंद्र विक्रम शाह की स्मृति में बनवाया। शिलालेख में अंकित तारीख 1927 इस मंदिर के गौरवशाली अतीत को प्रमाणित करती है।
नर्मदेश्वर महादेव की स्थापना और तांत्रिक महत्व
मंदिर में स्थापित नर्मदेश्वर शिवलिंग को विशेष धार्मिक मान्यता प्राप्त है। कहा जाता है कि यह स्थान तंत्र साधना के लिए भी प्रसिद्ध है, जो इसे एक अद्वितीय आध्यात्मिक केंद्र बनाता है।
स्थापत्य शैली – भुलभुलैया का जादू
इस मंदिर की बनावट में ऐसी जटिल गलियाँ और गलियारें हैं जो किसी भुलभुलैया (labyrinth) की अनुभूति कराती हैं। ऊँचे शिखर, गूढ़ नक्काशी, और खास वास्तु विन्यास इसे लखीमपुर खीरी की सबसे अनोखी शिल्पकला की मिसाल बनाते हैं।
13 साल तक छिपी रही खूबसूरती, अब सामने आई अमरीश पुरी की बेटी, देखें तस्वीरें।।
स्थान और पहुंच
यह मंदिर तहसील निघासन के अंतर्गत, सिंगाही कस्बे से केवल 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
खैरीगढ़ स्टेट की विरासत
भुलभुलैया मंदिर उस समृद्ध और शक्तिशाली खैरीगढ़ रियासत का हिस्सा है, जिसकी राजधानी सिंगाही रही है। यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक रूप से बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी अमूल्य धरोहर है।
निष्कर्ष
अगर आप इतिहास, रहस्य और आध्यात्मिकता से जुड़ी जगहों में रुचि रखते हैं, तो सिंगाही भुलभुलैया शिव मंदिर, लखीमपुर खीरी आपकी सूची में अवश्य होना चाहिए। यह जगह केवल श्रद्धालुओं के लिए ही नहीं, बल्कि वास्तु और इतिहास प्रेमियों के लिए भी अद्वितीय आकर्षण है।