रिपोर्ट:- शरद मिश्रा “शरद”
लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी जिले की तहसील धौरहरा में स्थित कफारा शिव मंदिर, जिसे श्री लीलानाथ शिव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव के भक्तों के लिए आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। यह प्राचीन मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पीछे छुपी ऐतिहासिक कथाएं और लोक मान्यताएं इसे और भी विशेष बनाती हैं।
इतिहास से जुड़ी मान्यता
मान्यता है कि यह स्थान आल्हा-ऊदल के युग से जुड़ा हुआ है। कथा के अनुसार, वीर आल्हा ने माड़व विजय की कामना से इस स्थान पर भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित किया था। यह स्थान तब से शिवभक्तों के लिए पूजनीय बन गया।
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‘कफारा’ नाम का रहस्य
‘कफारा’ शब्द का अर्थ होता है प्रायश्चित। एक लोककथा के अनुसार, कभी यहाँ कुछ बंजारों ने एक शिवलिंग को मामूली पत्थर समझकर उस पर मूंज कूट दी, जिससे रक्त प्रवाहित होने लगा। इस चमत्कार से भयभीत होकर उन्होंने पश्चाताप किया। इसके बाद सिंगाही स्टेट की महारानी सुरथ कुमारी शाह ने इस स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया। यह प्रायश्चित ही ‘कफारा’ नाम का आधार बना।
बैसाखी पर लगता है प्रसिद्ध सेतुवाही मेला
प्रत्येक वर्ष बैसाखी पर्व के अवसर पर यहाँ दस दिवसीय सेतुवाही मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं। यह मेला धार्मिक आस्था के साथ-साथ सांस्कृतिक उत्सव का भी प्रतीक बन चुका है।
चक्रतीर्थ सरोवर – प्राकृतिक और धार्मिक आकर्षण
मंदिर परिसर के पास स्थित चक्रतीर्थ सरोवर भी विशेष आकर्षण का केंद्र है। सरोवर का सुंदरीकरण कार्य जारी है, जिससे यह आने वाले समय में एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल का रूप ले सकता है।
शिवभक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत
कफारा शिव मंदिर लखीमपुर खीरी जिले में भगवान शिव के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। यहाँ आकर भक्त न केवल आध्यात्मिक शांति अनुभव करते हैं, बल्कि इतिहास, लोककथाओं और परंपराओं से भी जुड़ते हैं। यदि आप भी शिवभक्ति की गहराई में डूबना चाहते हैं और उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक वैभव को महसूस करना चाहते हैं, तो एक बार कफारा शिव मंदिर की यात्रा अवश्य करें।